लिफ़ाफे से तौल दी उसने तिरे कलम- जमीर को…
तुमने भी कसमें खा ली ज्ञान की पिछली रात को…
सोया होगा सुकून से बेचा है जो अपनी जमीर को…
स्वतंत्र मन से सोचता हूं, होगा क्या अगली रात को…
©® अमित कुमार गौतम स्वतंत्र
©® AMIT KUMAR GAUTAM SVATANTRA
लिफ़ाफे से तौल दी उसने तिरे कलम- जमीर को…
तुमने भी कसमें खा ली ज्ञान की पिछली रात को…
सोया होगा सुकून से बेचा है जो अपनी जमीर को…
स्वतंत्र मन से सोचता हूं, होगा क्या अगली रात को…
©® अमित कुमार गौतम स्वतंत्र
©® AMIT KUMAR GAUTAM SVATANTRA