जिला कोषालय मे पदस्थ बाबू पर पेंशन भुगतान एवज में पैसे मांगने के लगे आरोप
पीड़िता ने जन सुनवाई पर लगाई गुहार, उत्पीड़न से मुक्ति एवं पेंशन दिलाने कि मांग
समय INDIA 24 @ सीधी। जिले में अब इस प्रकार के मामले सामने आना आम बात हो गई है कि किसी कर्मचारी ने काम करने व कराने के एवज में रिश्वत मांगा है। यही नहीं बल्कि पूर्व मे कई कर्मचारी जिले के लोकायुक्त द्वारा टैप भी किए जा चुके हैं जिसके बाद भी रिश्वत कि भूख बिना कम हुए सभी प्रकार के भय को दूर कर लाभार्थी को प्रताड़ित कर ही देती है। ऐसा ही मामला सीधी जिले के रामगढ़ न.2 निवासी पीड़ित बेबा मानवती विश्वकर्मा का है जिसके पति शासकीय कर्मचारी थे और दिवंगत हो जाने के बाद प्राप्त होने वाली पत्नी को पेंशन राशि को पाने चक्कर लगा रही है। मंगलवार 9 मार्च 2021 को जनसुनवाई में दिए गए आवेदन अनुसार पीड़िता का कहना है कि नवम्बर 2018 माह से भुगतान पेंशन का नहीं हुआ है जिसकी शिकायत बैंक प्रबंधन, जिला कलेक्टर और जिला कोषालय सीधी के समक्ष किया गया लेकिन कार्यवाही होने के बजाय जिला कोषालय सीधी मे पदस्थ सहायक वर्ग -2 के पद पर पदस्थ अनिल रावत द्वारा 50 हजार कि रिश्वत मांगी गई। रिश्वत 30 हजार देने बाद 311815.00 (तीन लाख ग्यारह हजार आठ सौ पंद्रह रुपए) राहत पेंशन भत्ता का भुगतान किया गया लेकिन बढ़ती रिश्वत कि भूख के कारण मूल पेंशन का भुगतान अभी भी नहीं हुआ । जन सुनवाई पर दिए गए आवेदन पत्र में जिला कोषालय में पदस्थ सहायक वर्ग -2 अनिल रावत पर आरोप लगाया गया है कि शेष मूल पेंशन का भुगतान करने 30 हजार रुपए का रिश्वत देने बाद भी 20 हजार रूपए कि रिश्वत कि मांग और कि जा रही है। मामले में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकता है लेकिन जिला प्रशासन के कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह जरूर लगते है। यही नहीं बल्कि सवाल यह उठता है कि यदि जिला कोषालय में कार्य कराने कि एवज में 10 प्रतिशत रिश्वत लिए जाते है तो इस रिश्वत के हिस्सेदार कौन – कौन है? देखना यह भी होगा कि पीड़िता को अपना मूल पेंशन रिश्वत देने पूर्व मिलता है या फिर रिश्वत कि भूख मिटाने के बाद?