अंतःकलह कांग्रेस कि पुरानी व्याधि, इससे जल्द ही उबरना होगा

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अंतःकलह कांग्रेस कि पुरानी व्याधि, इससे जल्द ही उबरना होगा

कमलनाथ का यह कहना मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 मे विंध्य का बेहतर प्रदर्शन नहीं होने से प्रदेश में बनी कांग्रेस सरकार गिर गई। इसी बयान पर तल्ख लहजे में पलटवार अजय सिंह ने करते हुए कहा कि विंध्य का यह अपमान है कांग्रेस कार्यकर्ताओं का अपमान है और कमलनाथ को ऐसे बयानों से बचने कि नसीहत देने वाली खबरे वर्तमान में सुर्खियां बटोर रही हैं।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में समूचे विंध्य क्षेत्र की जिम्मेदारी स्टार प्रचारक बतौर अजय सिंह राहुल के कंधे में थी। बेशक उन्होंने मेहनत किया लेकिन चुनाव के परिणाम अपेक्षा से बहुत ही कम कांग्रेस के लिए आए यही नहीं स्टार प्रचारक रहते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल अपनी भी परंपरागत सीट को नहीं बचा पाए और चुनाव हार गए। चुनाव परिणाम आने के बाद संख्या ज्यादा होने से कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने आमंत्रण दिया गया और गंठबंधन कि कमलनाथ के नेतृत्व में मध्यप्रदेश पर 15 वर्ष बाद कांग्रेस पार्टी कि सरकार बनी। मध्यप्रदेश विधानसभा में अजय सिंह राहुल नेता प्रतिपक्ष रहते हुए भले ही कई बार भाजपा कि शिवराज सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया और व्यापम जैसे मुद्दों को लेकर प्रखर रहे लेकिन चुनाव के दौरान कांग्रेस युवराज राहुल गांधी के लिए मध्यप्रदेश के नेता नम्बर एक और दो क्रमशः कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही रहे। यही से मध्यप्रदेश कि राजनीति में कांग्रेस पार्टी के अंदर धीरे – धीरे खिंचाव शुरू हो गया था । ऐसा क्यों न हो जब केंद्र कि राजनीति से ऊब कर प्रदेश कि राजनीति में दो नए चेहरे सीएम पद के लिए या ज्यादा शक्तिशाली होने के लिए होड़ लगा रहे हो तो फिर जो वर्षो से नेता प्रतिपक्ष रहते हुए काम किया हो वो भी विंध्य के नेताओ कि मांग पर सीएम बनने कि चाहत रख ही सकता है। लेकिन परिणामों ने सिर्फ फैसला नम्बर एक और दो पर टिका दिया और अंततः कमलनाथ ही मुख्यमंत्री बने।

कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों को ज्यादा से ज्यादा कैबिनेट में रखना चाहते थे और प्रदेश कांग्रेस की कमान अपने पास। इसी बीच मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भी जो मध्यप्रदेश के लिए बरसों से मेहनत कर रहे थे भला कैसे हो सकता है कि उनके रहते हुए कोई आए और अचानक सब कुछ हाथ में रहते हुए भी छीन कर चला जाए। चाहे भले ही बरसों बाद कुछ मिला था कुछ खोने के बाद, विधान सभा मे न बैठते लेकिन सरकार तो उन्ही के पार्टी कि थी और यही हुआ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी बाजी पलटी और भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम कर मध्यप्रदेश में बनी वर्षो बाद कांग्रेस पार्टी कि सरकार को गिरा दिया । यह खिंचाव तब भी था जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और यह आज भी है जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस विपक्ष पर है। पार्टी के ही कुछ नेताओं को ऐसा लगता है, कमलनाथ के पास मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान है और साथ ही उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का भी दायित्व अपने पास रखा है जब मध्यप्रदेश में और भी बड़े नेता हैं और उसके लिए योग्य भी हैं। बार-बार पार्टी के अंदर अंतः कलह चलती आ रही है और इसी बीच विंध्य को लेकर कमलनाथ का बयान भरते जख्म को कुरेद दिया है । इस बयान के बाद अजय सिंह राहुल के लिए कमलनाथ का संकेत भी माना जा सकता है कि आपको विंध्य का दायित्व दिया गया था और आप असफल रहे जिसके बाद अन्य जिम्मेदारी मिलना कठिन है। या फिर कमलनाथ केंद्र से प्रदेश कि राजनीति में आने के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस में शक्तिमान बन कर राजनीति करना चाहते हो।

कांग्रेस सरकार के गिरने पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक गिरिजाशंकर कि बात करे तो उनका मानना रहा है कि इस घटना क्रम में बीजेपी पूरी तरह से ज़िम्मेदार नही है बीजेपी को कैच मिल रहा था और उसने कैच लें लिया। इसी दौरान कांग्रेस पार्टी विधायको के नाम पूर्व सीएस और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का पत्र जिसमे यह उल्लेख होना “जाने-अनजाने मेरी या किसी नेता की ग़लतियों से कोई कड़वाहट पैदा हुई उसको दूर करना चाहता हूं।” इससे साफ़ आकलन लगाया जा सकता है कि सब कुछ ठीक नहीं था।

कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार से ज्योतिरादित्य सिंधिया नाखुश थे ही साथ ही कांग्रेस पार्टी के विधायक व मंत्री भी खुश नहीं थे। जिन्हें मनाने के लिए मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी के चाणक्य के रूप में भूमिका निभाने वाले दिग्विजय सिंह भी असफल रहे, यही नहीं 2018 विधानसभा चुनाव में विंध्य से कांग्रेस पार्टी को अपेक्षाकृत परिणाम भी नहीं मिले थे । ऐसे में किसी क्षेत्र को किसी व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराना कितना उचित है समझना होगा। मध्यप्रदेश मे वर्षो बाद कांग्रेस कि यह सरकार बनी थी और हर कोई वनवास खत्म होने बाद सिंहासन का स्वप्नदर्शी था। सिंहासन का स्वप्न दर्शन मध्यप्रदेश पर कांग्रेस को खण्डित कर दिया और जब प्रदेश में मजबूत विपक्ष कि आवश्यकता है उस वक्त कांग्रेस अपने पुराने व्याधि अंतःकलह में उलझी हुई है।

लेखनअमित कु. गौतम “स्वतंत्र”